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Showing posts from August, 2020

01.वहय की शुरुआत (Hadith no 01-07)

  "मै शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से वो बड़ा ही निहायत रहम और करम करने वाला है अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही ओर सभी तारीफ अल्लाह ही के लिए है " उमर बिन खताब रजि अल्लाह तआला अन्हो से रिवायत है नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते है कि "सवाब के तमाम काम नियतो पर टिके है और हर व्यक्ति को उसकी नीयत के मुताबिक इनाम मिलेगा। इसलिए जो कोई दुनिया कमाने या किसी औरत के साथ शादी करने के लिए वतन छोड़ता है, तो उसकी हिज़रत उसी काम के लिए है जिसके लिए उसने हिज़रत की होगी।  वाजेह रहे कि हर अच्छे काम के लिए आपकी नियत भी अच्छी होनी चाइये वरना न सिर्फ सवाब से महरूमी होगी बल्कि अल्लाह के यहा सख्त सजा का डर भी है ओर जो अमाल खालिस दिल से मुताल्लिक है मसलन डर व उम्मीद वगैरा, इनमे नियत की कोई जरूरत नही। नीज़ नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तरफ नुजुले वहय का सबब आपका इख्लास ए नियत है। Note:- "वहय" जो आगे कई बार आएगा उसका मतलब है की अल्लाह की तरफ से आने वाले हुकुम। हजरता आएशा रजि अल्लाह तआला अन्हो से रिवायत है कि अल-हरिथ बिन हिशम ने अल्लाह के रसूल से पूछा "ऐ अल्लाह के रसूल ! आपको...